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Organ Donation is a gift for life
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ढाई साल का अंगदाता

गुजरात के सूरत शहर में महज ढाई साल के बच्चे के शरीर के अंगदान किए गए. जश ओझा के ब्रेन डेड होने के बाद, उसके परिवार ने अंगदान का फैसला किया और उसके फेफड़े, किडनी, लीवर और आंखें दान दीं. ब्रेन डेड जश के अंगदान से सात लोगों को नया जीवन मिला है. उसके हार्ट को रशिया के बच्चे में और फेफड़े को यूक्रेन के बच्चे में में दान किया गया है.
 
बता दें कि सूरत के स्थानीय पत्रकार संजीव ओझा के परिवार द्वारा जश के अंगदान की इजाजत देने के बाद, उसके हार्ट को रशिया के बच्चे में और फेफड़े को यूक्रेन के बच्चे में ट्रांसप्लांट किया गया. डोनेट लाइफ संस्था के फाउंडर ट्रस्टी निलेश मांडलेवाला ने बताया कि संजीव ओझा का ढाई साल का पुत्र जश 9 दिसंबर को पड़ोसी के घर पर खेलते हुए दूसरी मंजिल से गिर गया था. सिर में गंभीर चोट आने के बाद वह बेहोश हो गया. जिसके बाद उसे सूरत के भटार स्थित अमृता अस्पताल में भर्ती कराया गया.
 
सीटी स्कैन और एमआरआई रिपोर्ट में ब्रेन हैमरेज होने की वजह से दिमाग में सूजन होने की बात सामने आयी थी. लेकिन बाद में 14 दिसंबर को जांच के बाद उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया.
 
जिसके बाद जश के पिता संजीव ओझा ने उसके अंगदान करने का फैसला लिया. पेशे से पत्रकार संजीव पिछले काफी समय से अंगदान के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं. जश के अंगदान के लिए डोनेट लाइफ संस्था ने कार्यवाही शुरू की. स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट संस्था के कन्वीनर डॉ प्रांजल से संपर्क करके हार्ट, फेफड़े और लीवर के दान के लिए कहा गया. लेकिन तब गुजरात में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए किसी छोटे बच्चे का नाम वेटिंग में नहीं था.
 
स्टेट ऑर्गनाईजेशन ने मुंबई से संपर्क किया, लेकिन वहां बी-पॉजिटिव ब्लड ग्रुप का कोई मरीज नहीं मिला. हालांकि बाद में चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में दो विदेशी मरीज के साथ ब्लड ग्रुप मैच हुआ. अस्पताल में ट्रीटेमेंट ले रहे रशिया और यूक्रेन की नागरिकता वाले चार साल के दो विदेशी बच्चों में हार्ट और फेफड़े ट्रांसप्लांट किए गए.
 
मालूम हो कि सूरत के अमृता अस्पताल से चेन्नई के एमजीएम अस्पताल तक 1615 किलोमीटर की दूरी को 160 मिनट में तय करके हार्ट को रशिया के बच्चे में और फेफड़े को यूक्रेन के बच्चे में ट्रांसप्लांट किया गया. अंगदान की इस प्रक्रिया में चिकित्सकों की टीम के साथ पुलिस विभाग और ग्रीन कॉरीडोर का भी सहयोग मिला.
 
वहीं, जश की एक किडनी सुरेन्द्रनगर के 13 वर्षीय बच्ची में और दूसरी किडनी सूरत निवासी 17 वर्षीय बच्चे में और लिवर भावनगर के 2 वर्षीय बच्चे में ट्रांसप्लांट हुआ. दोनों आंखे आइबैंक में दान की गईं. इस तरह से ढाई साल के ब्रेनडेड जश ओझा के अंगदान से 7 परिवार के सदस्यों को नया जीवन मिला.
 
गौरतलब है कि सूरत के इस डोनेट लाइफ संस्था के जरिए अब तक 373 किडनी, 152 लिवर, 8 पैंक्रिआस, 30 दिल, 10 फेफड़े और 276 आंखे अब तक दान की गयी हैं. जिससे 781 लोगों को नया जीवन और दृष्टि मिली है.
 
समाचार -साभार